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इल्तुतमिश का शासनकाल और प्रशासनिक सुधार | Iltutmish Ka Shasankal Aur Prashasnik Sudhar
इल्तुतमिश: दिल्ली सल्तनत का शासक
आज हम गुलाम वंश (Slave Dynasty) के दूसरे शासक इल्तुतमिश के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। इल्तुतमिश को दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। उन्होंने कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा स्थापित सल्तनत को मजबूत बनाया और इसे एक स्थिर और व्यवस्थित राज्य के रूप में स्थापित किया। तो चलिए, विस्तार से समझते हैं।
इल्तुतमिश का प्रारंभिक जीवन | Iltutmish Ka Praarambhik Jeevan
इल्तुतमिश का जन्म तुर्किस्तान में हुआ था। उन्हें बचपन में ही गुलाम के रूप में बेच दिया गया था। उन्हें कुतुबुद्दीन ऐबक के दरबार में लाया गया, जहाँ उनकी योग्यता और कौशल ने ऐबक का ध्यान आकर्षित किया। ऐबक ने उन्हें अपना विश्वासपात्र बनाया और उन्हें उच्च पदों पर नियुक्त किया।
सत्ता में आना | Satta Mein Aana
1210 ईस्वी में कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के बाद, उनके दामाद आरामशाह को सुल्तान बनाया गया। हालाँकि, आरामशाह एक अयोग्य शासक साबित हुए, और उनके शासन में अराजकता फैल गई। इस स्थिति में, दिल्ली के अमीरों और सरदारों ने इल्तुतमिश को सुल्तान बनाने का निर्णय लिया। 1211 ईस्वी में, इल्तुतमिश ने आरामशाह को हराकर दिल्ली की गद्दी संभाली।
इल्तुतमिश का शासनकाल | Iltutmish Ka Shasankal
इल्तुतमिश का शासनकाल (1211–1236 ईस्वी) दिल्ली सल्तनत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उन्होंने न केवल सल्तनत को मजबूत किया, बल्कि इसे एक स्थिर और व्यवस्थित राज्य के रूप में स्थापित किया।
1. प्रशासनिक सुधार | Prashasnik Sudhar
इल्तुतमिश ने एक मजबूत प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की। उन्होंने इक्ता प्रणाली को लागू किया, जिसमें सैन्य अधिकारियों को भूमि दी जाती थी और उनसे बदले में सैन्य सेवा की अपेक्षा की जाती थी। इस प्रणाली ने सल्तनत की आर्थिक और सैन्य शक्ति को मजबूत किया।
2. सैन्य विजय | Sainy Vijay
इल्तुतमिश ने कई सैन्य अभियान चलाए और अपने साम्राज्य का विस्तार किया। उन्होंने रणथंभौर, मंदौर, ग्वालियर, और बंगाल पर विजय प्राप्त की। उन्होंने मंगोल आक्रमण का सफलतापूर्वक सामना किया और उन्हें भारत में प्रवेश करने से रोका।
3. राजधानी का स्थानांतरण | Rajdhani Ka Sthanantaran
इल्तुतमिश ने दिल्ली को सल्तनत की राजधानी बनाया। उन्होंने दिल्ली को एक प्रशासनिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया।
4. सांस्कृतिक योगदान | Sanskritik Yogdan
इल्तुतमिश ने कला और स्थापत्य को प्रोत्साहन दिया। उन्होंने कुतुब मीनार का निर्माण पूरा करवाया, जो आज भी भारत की सबसे ऊँची मीनार है। उन्होंने कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का विस्तार भी करवाया।
इल्तुतमिश की मृत्यु और उत्तराधिकार | Iltutmish Ki Mrityu Aur Uttaradhikar
1236 ईस्वी में इल्तुतमिश की मृत्यु हो गई। उन्होंने अपनी पुत्री रज़िया सुल्तान को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था, लेकिन दिल्ली के अमीरों ने रज़िया को स्वीकार नहीं किया और उनके बजाय रुक्नुद्दीन फ़िरोज़ को सुल्तान बनाया। हालाँकि, रुक्नुद्दीन का शासन अल्पकालिक रहा, और रज़िया सुल्तान ने बाद में सत्ता संभाली।
इल्तुतमिश की विरासत | Iltutmish Ki Virasat
इल्तुतमिश ने दिल्ली सल्तनत को एक मजबूत और स्थिर राज्य के रूप में स्थापित किया। उनके शासनकाल में प्रशासनिक, सैन्य, और सांस्कृतिक विकास हुआ। उन्हें दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
निष्कर्ष | Nishkarsh
इल्तुतमिश ने दिल्ली सल्तनत को एक छोटे राज्य से एक विशाल साम्राज्य में बदल दिया। उनके शासनकाल में हुए प्रशासनिक और सांस्कृतिक सुधारों ने सल्तनत की नींव को मजबूत किया। उनकी विरासत आज भी भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।