![]() |
"This image for illustrative purposes only. यह छवि केवल उदाहरणार्थ है |" |
·
सभी धर्मों का सम्मान करने की प्रेरणा दी गई।
·
अहिंसा और करुणा के महत्व को समझाया गया।
·
माता-पिता, गुरु और वृद्धजनों के प्रति आदर की भावना विकसित की गई।
·
समाज में सत्य और न्याय की स्थापना पर जोर दिया गया।
·
दासों और नौकरों के साथ उचित व्यवहार करने के निर्देश दिए गए।
·
जनता को धार्मिक सहिष्णुता और नैतिकता का संदेश देना।
·
अशोक के आदेशों का प्रचार करना।
·
समाज में करुणा और अहिंसा की भावना को बढ़ावा देना।
·
जेलों में कैदियों के प्रति दयालुता और न्यायपूर्ण व्यवहार सुनिश्चित करना।
· बौद्ध धर्म का अंतरराष्ट्रीय विस्तार: अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा, जिससे बौद्ध धर्म दक्षिण एशिया में फैला।
· शिलालेखों और स्तंभों द्वारा प्रचार: अशोक ने अपने धम्म नीति के संदेश को प्रसारित करने के लिए पूरे साम्राज्य में शिलालेखों और स्तंभों की स्थापना की।
· बौद्ध संघों को संरक्षण: उन्होंने बौद्ध संघों को आर्थिक सहायता दी और विहारों और स्तूपों का निर्माण करवाया।
· तीर्थ स्थलों का विकास: अशोक ने लुंबिनी, सारनाथ, बोधगया और कुशीनगर जैसे बौद्ध तीर्थ स्थलों का जीर्णोद्धार करवाया।
·
समाज में धार्मिक सहिष्णुता की भावना विकसित हुई।
·
दासों, सेवकों और गरीबों के प्रति दयालुता और सम्मान का भाव बढ़ा।
·
प्रशासन में नैतिकता और न्याय की भावना को बल मिला।
·
युद्ध और हिंसा में कमी आई और राज्य में स्थिरता बनी रही।
· सर्वधर्म समभाव: आज भी भारत की नीतियों में धर्मनिरपेक्षता और धार्मिक सहिष्णुता का सिद्धांत अपनाया जाता है।
· अहिंसा का सिद्धांत: गांधी जी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा के जिस सिद्धांत को अपनाया, वह अशोक की धम्म नीति से प्रेरित था।
· जनता के कल्याण की योजनाएँ: आधुनिक सरकारें भी जनता के कल्याण के लिए विभिन्न योजनाएँ लागू करती हैं, जैसे कि अशोक ने अस्पताल, सड़कों और धर्मशालाओं का निर्माण कराया था।