मौर्य साम्राज्य: धम्म नीति का प्रभाव और महत्व | Maurya Samrajya Dhamma Niti ka Prabhav aur Mahatva

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धम्म नीति का उद्देश्य और पृष्ठभूमि | Dhamma Niti ka Uddeshya aur Prishthabhoomi

मौर्य सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद अपनी शासन प्रणाली में धम्म नीति को लागू किया। यह नीति किसी विशेष धर्म को बढ़ावा देने के लिए नहीं थी, बल्कि समाज में नैतिकता, अहिंसा और शांति स्थापित करने का एक प्रयास था। अशोक ने युद्ध की विभीषिका से सीख लेकर धम्म नीति को अपनाया, जिसका मूल उद्देश्य सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता और करुणा को बढ़ावा देना था।

समाज में नैतिकता और शांति का प्रचार | Samaj me Naitikta aur Shanti ka Prachar
अशोक की धम्म नीति का मूल उद्देश्य समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना करना था। उन्होंने समाज में सहिष्णुता, अहिंसा और धार्मिक सौहार्द्र को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए। इस नीति के अंतर्गत:

·         सभी धर्मों का सम्मान करने की प्रेरणा दी गई।


·         अहिंसा और करुणा के महत्व को समझाया गया।


·         माता-पिता, गुरु और वृद्धजनों के प्रति आदर की भावना विकसित की गई।


·         समाज में सत्य और न्याय की स्थापना पर जोर दिया गया।


·         दासों और नौकरों के साथ उचित व्यवहार करने के निर्देश दिए गए।


धम्म नीति के अंतर्गत धर्म महामात्रों की नियुक्ति | Dhamma Niti ke Antargat Dharma Mahamatron ki Niyukti
अशोक ने अपनी धम्म नीति के प्रचार-प्रसार और उसे लागू करने के लिए धर्म महामात्रों की नियुक्ति की। ये धर्म महामात्र प्रशासनिक अधिकारी होते थे, जो लोगों को नैतिक मूल्यों की शिक्षा देने का कार्य करते थे। इनकी मुख्य जिम्मेदारियां थीं:

·         जनता को धार्मिक सहिष्णुता और नैतिकता का संदेश देना।


·         अशोक के आदेशों का प्रचार करना।


·         समाज में करुणा और अहिंसा की भावना को बढ़ावा देना।


·         जेलों में कैदियों के प्रति दयालुता और न्यायपूर्ण व्यवहार सुनिश्चित करना।


बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार | Bauddh Dharma ka Prachar-Prasar
अशोक की धम्म नीति के तहत बौद्ध धर्म का व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया। हालांकि, अशोक ने सभी धर्मों का सम्मान किया, लेकिन उन्होंने बौद्ध धर्म को विशेष संरक्षण प्रदान किया।

·   बौद्ध धर्म का अंतरराष्ट्रीय विस्तार: अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा, जिससे बौद्ध धर्म दक्षिण एशिया में फैला।


·   शिलालेखों और स्तंभों द्वारा प्रचार: अशोक ने अपने धम्म नीति के संदेश को प्रसारित करने के लिए पूरे साम्राज्य में शिलालेखों और स्तंभों की स्थापना की।


·   बौद्ध संघों को संरक्षण: उन्होंने बौद्ध संघों को आर्थिक सहायता दी और विहारों और स्तूपों का निर्माण करवाया।


·   तीर्थ स्थलों का विकास: अशोक ने लुंबिनी, सारनाथ, बोधगया और कुशीनगर जैसे बौद्ध तीर्थ स्थलों का जीर्णोद्धार करवाया।


धम्म नीति का समाज पर प्रभाव | Dhamma Niti ka Samaj par Prabhav
अशोक की धम्म नीति का तत्कालीन भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा।

·         समाज में धार्मिक सहिष्णुता की भावना विकसित हुई।


·         दासों, सेवकों और गरीबों के प्रति दयालुता और सम्मान का भाव बढ़ा।


·         प्रशासन में नैतिकता और न्याय की भावना को बल मिला।


·         युद्ध और हिंसा में कमी आई और राज्य में स्थिरता बनी रही।


धम्म नीति का आधुनिक प्रशासन पर प्रभाव | Dhamma Niti ka Aadhunik Prashasan par Prabhav
अशोक की धम्म नीति आज भी प्रशासनिक व्यवस्था और नैतिकता के संदर्भ में प्रासंगिक बनी हुई है।

·     सर्वधर्म समभाव: आज भी भारत की नीतियों में धर्मनिरपेक्षता और धार्मिक सहिष्णुता का सिद्धांत अपनाया जाता है।


·    अहिंसा का सिद्धांत: गांधी जी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा के जिस सिद्धांत को अपनाया, वह अशोक की धम्म नीति से प्रेरित था।


·    जनता के कल्याण की योजनाएँ: आधुनिक सरकारें भी जनता के कल्याण के लिए विभिन्न योजनाएँ लागू करती हैं, जैसे कि अशोक ने अस्पताल, सड़कों और धर्मशालाओं का निर्माण कराया था।


निष्कर्ष |
अशोक की धम्म नीति भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण नीति थी, जिसने केवल मौर्य साम्राज्य को बल्कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप को नैतिकता और सहिष्णुता का संदेश दिया। यह नीति एक ऐसे शासक के विचारों को दर्शाती है, जो अपनी विजय के बजाय शांति, नैतिकता और धार्मिक सौहार्द्र को अधिक महत्व देता था।

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